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जन जाग्रति केंद्र पिथौरा, जिला - महासमुंद, छत्तीसगढ़ एक गैर सरकारी संस्था है, जो बंधुआ मजदूरी के ऊपर काम कर रही है, यहाँ पिछले साल जुलाई 2015 में साल्ट का एक ट्रेनिंग रखा गया था जिसमे फील्ड में काम करने वाले वालेंटियर भी शामिल हुए थे | इस साल्ट ट्रेनिंग में शामिल हुए एक वालेंटियर ने इसका प्रयोग पंजाब के एक ईट भट्ठा में किया उस वालेंटियर के अनुभव व उसके द्वारा मजदूरों को उत्प्रेरित करने के बाद जो बदलाव आया वो इस प्रकार है -
मेरा नाम खेमलाल खटर्जी है मै जन जाग्रति केंद्र में वालेंटियर के पद पर कार्य करता हु, पिछले जुलाई 2015 में मैंने जन जाग्रति के द्वारा साल्ट का ट्रेनिंग लिया जिसका प्रयोग मैंने पंजाब के मु. - सठियाला, थाना/तह. - बाबा बकाला ,
में किया जहाँ पर 15 परिवार A1 भट्ठे पर काम कर रहे थे | वहां पंहुचा तो देखा की उस भट्ठे में शौचालय की बहुत समस्या है वहाँ जितने भी मजदूर काम कर रहे थे सभी को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था | वहाँ की मिटटी भी अच्छी नही थी जिससे मजदूर कम ईट बना पा रहे थे व उस मिटटी में मजदूरों को बहुत मेहनत करना पड़ रहा था | तब मैं मजदूरों से मिला जहाँ वो काम कर रहे थे वहाँ और जब मैंने मजदूरों से बात - चित की तो मुझे पता चला की उन सभी को शौचालय की सुविधा नही है व रोज काम भी नही मिल पा रहा है, जब मै सभी मजदूरों से जा- जा कर मिला, और उनसे बात - चित की तो मुझे पता चला कि सभी की उस भट्ठे में वही समस्या थी जो अन्य मजदूरों की थी कि वहाँ की मिटटी भी अच्छी नही थी जिससे मजदूर कम ईट बना पा रहे थे व उस मिटटी में मजदूरों को बहुत मेहनत करना पड़ रहा था, शौचालय की सुविधा नही है व रोज काम भी नही मिल पा रहा है और कई मजदूर कई बार मालिक से इस विषय में बोल भी चुके है की हमारे लिए शौचालय व मिटटी की व्यवस्था कराओ पर मालिक ने न तो मिटटी की व्यवस्था करवाई और न ही शौचालय की| इस प्रकार मैंने बारी- बारी से सारे मजदूरों की बातें सुनी और समझा की परेशानी तो सभी मजदूरों को है और सभी मजदूरों ने अपनी बातें मुझसे साँझा की है, और मुझे पता चला कि कई मजदूरों ने इसके लिए आवाज भी उठाई है |
तो क्यों न मैं इन्ही से इस समस्या का हल निकलवाने का प्रयास करूँ तब मैंने ये सोचा की जब मजदूर एक जगह इकठ्ठे होंगे तब मैं ये कर पाऊँगा और फिर जिस दिन मजदूर अपने साप्ताहिक बाजार वाले दिन इकट्ठे हुए तब मैं भी वहाँ था तब मैंने सभी एक दुसरे से बात कर रहे थे कि शौचालय और मिटाती कि समस्या का क्या समाधान निकाले तब मैंने कहा की आप सभी को मिटटी व शौचालय की समस्या है और आप लोगो में से कई लोगो ने आवाज भी उठाई है पर मालिक के द्वारा अनसुना कर दिया गया है तो उसका समाधान क्या होना चाहिए | इस प्रकार जब मैंने उन्हें उत्प्रेरित किया तब उनमे से ही कुछ मजदूरों ने बोला की यदि हम सभी एक साथ काम करना बंद कर देंगे तो मालिक जरूर सुनेगा इस बात पर सभी मजदूरों ने अपनी सहमति दी और दूसरे दिन सभी मजदूरों ने ऐसा ही किया सभी मजदूरों के द्वारा काम बंद करने के कारण मालिक को भी मजबूर होना पड़ा और फिर भट्ठा मालिक के द्वारा जे. सी. बी. मंगवा कर शौचालय के लिए काम शुरू करवाया व दूसरे जगह से मजदूरों के लिए अच्छी मिटटी की व्यवस्था भी करवाई गयी | मजदूरों के आगे आने के कारण उनकी समस्या का समाधान हो पाया जिससे मैंने ये सीखा कि सभी इनसान में ताकते होती है और वो स्व्यं अपनी समस्याओं का हल जानते है उन्हें बस उत्प्रेरित करने कि आवश्यकता होती है|
आगे यदि किसी को इस प्रकार की समस्या या फिर मुलभुत सुविधाओं से सम्बंधित कोई समस्या आएगी तो मै इन मजदूरों के द्वारा किये गए कार्य के द्वारा या कुछ मजदूरों को साथ ले जाकर उन्हें उत्प्रेरित करूँगा व उनके अनुभव का साँझा कर उत्प्रेरित करेंगे जिससे वे भी अपनी समस्याओं के लिए स्वयं आगे आकर उस समस्या का हल निकालेंगे | और इस प्रक्रिया को मै निरंतर साल्ट के माध्यम से करते रहूँगा |
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