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Now, we listen carefully! अब ! ध्यान से सुनते है हम |

During SALT training from 28th to 30th August 2016 we had a discussion on ‘listening’ in our organization in Jan Jagriti Kendra, Chhattisgarh.  47 including 19 women and 28 men all from age group of 22 to 57 years participated in the session.

I am sharing important points from the discussion through following questions:

  • What was the situation?
  • What was the action? What brought about a change?
  • What was the change? What did we learn from it?
  • How can we use it next time?

 For this we will have to go a bit further back when we had started working. We used to go to the village, people did not want to give us time, some would just turn away. We would conduct surveys, and provide them information on government schemes. We used to ask their problems. Through this they understood that we had come to solve the problems of their village, provide them jobs etc. As a result they had become dependent on us.  They wanted us to get their work done. The community members did not want to come forward, they were scared of taking the lead.

 

After the SALT training, we started to listen to the community. We asked them what they were proud of. Through this we realized that we take so many actions, which we should be proud of, but we do not realize that. We felt proud of them and they too felt proud of themselves.  They realized their own strengths.

 

For example, during SALT training when we went to Village Barbetha, Mahasamundh District for a home visit. A woman called Rinki invited us to her home. When we asked what she was proud of, initially she hesitated.  Through further conversation, she shared how with bricklin owner she had fought for rights of the bonded labourer and got them all back together from the bricklin. We saw so many strengths in her and her family- leadership, fight for rights of others, mutual cooperation and love for each other.

Similarly, as we are organizing people in the villages, we have focused on helping them identify their strengths and encourage them to use their own capacity to address their issues. Our role is to provide them information on government processes. Community members have started to approach the government officials like district collectors on their own to resolve their issues and some have been able to find the solution. The community members have started to raise their own voice for their rights. The community had these strengths but what was required was stimulate them to take action, which we have been doing through the SALT process.

 In the future we will listen to the community even more carefully. We will encourage those  who have been influenced by SALT process to encourage others to find own solutions based on their strengths.

 

Story

 District Billuada bazar, block Bilaigarh, village Jogidipa Budeshwar Sahu when started work he said that people saw him as a stranger.   I tried several ways to talk to them but they would not listen to me.

 Then following the SALT process, I told them I am here from JJK, to listen  and learn from them. Finally, Sukhram, Hiralal, Firteen Bai, Pili Bai from the village started talking to me.  I asked them to share one thing they had done that they were proud of in their life. They started sharing and we developed a good relationship. We started discussing the importance of organizing themselves. I asked them what was their dream for the village. They shared the issues of their village- safe drinking water, good road, education of their children, liquor shop etc. They called for a meeting of the village and decided that they will take action on the handpump, which is not working in the village, and they have to walk 3 kms to fetch water. They collected Rs 5 each to hire a tractor to go to the Public Health Engineering Department (PHEI). They went to the PHEI office and registered a complaint and put up an application for new handpump to MDO. Subsequently, the MDO sent a technician to repair the handpump and also approved a new handpump for the village. Now Village Jogipara does not have any problem related to water.

 

We can take the villagers of Jogipara to stimulate other villagers who are not responding to their issues. We will continue to do this through SALT process. 

 *********

दिनांक 28 से 30/07/2016 तक चलने वाले कार्यशाला में सुनने कि आवश्यकता पर भी एक सेशन रखा गया जिसमे  वालेंटियर,  कोर्डिनेटर,ऑफिस स्टाफ, संगठन सदस्य मिलाकर 47 सदस्य  थे  जिनकी आयु 22- 57  वर्ष तक थी जिसमें महिला 19 और पुरुष 28 थे |

                सुनने की जरुरत को समझने के लिए कुछ बिंदु सामने आये जो इस प्रकार है जिसे समझने के लिए हमने चार प्रश्नों का प्रयोग किया जो इस प्रकार है -

१. पहले स्थिति क्या थी ?

२. किस कारण से बदलाव आया ?

३.अब स्थिति क्या है? और हमने इससे  क्या सिख| ?

४. इसे भविष्य में कैसे इस्तेमाल करेंगे ?

                पहले की स्थिति को समझने के लिए हमे कुछ समय पहले जाना होगा, जब हमने काम शुरू किया था तब हम गांव  में जाते थे तब लोग हमे समय देना ही नही चाहते थे कुछ लोग तो चले  जाते थे हम गांव में जाते थे उनका सर्वे करते उन्हें शासकीय योजना  की जानकारी देते थे व उनकी समस्या पूछते थे जिससे वे  समझते थे की हम उनकी और गांव की समस्या को दूर करने आये है और उन्हें काम देने आये है, जिससे वे हमारे ऊपर निर्भर हो गए थे और हमसे ही काम कराना चाहते थे आगे नही आते थे आगे आने से डरते थे |

सॉल्ट ट्रेनिंग के बाद हम ने जब लोगो की बातो को सुनना प्रारम्भ किया हमने उनके गर्व को पूछा और जाना |जिससे हमे पता चला की हम सब बहुत से ऐसे काम करते है जिसमे हमे गर्व होना चाहिए पर हम उसे जानते नही जानने के बाद हमे अपने और अपने साथी पर गर्व महसूस हुआ और उन्हें भी अपने आप पर  गर्व महसूस हुआ |जिससे उनके ताकत को समझने में मदद  मिली |

                  जैसे -जब हम सॉल्ट ट्रेनिंग के दौरान  महासमुंद  जिले के बरभाठा ग्राम में होम विजिट करने गए जहाँ हम एक घर गए और उस घर से जब हम बाहर निकले उसके बाद वहां एक महिला मिली जिसने  हम सभी को अपने घर चलने को कहा उस महिला का नाम  रिंकी था, जब उस महिला से हमने पूछा की आपको किस चीज का गर्व है, पहले तो वो बता नही पायी फिर बातों ही बातों में  उसने बताया की वो भट्ठा मालिक से खुद के लिए और अपने गांव वालों के लिए घर वापसी के लिए लड़ाई करके सभों को वापस ले कर आयी | उसे पता ही नहीं था की ये उसके लिए गर्व का कारण है इसी प्रकार हम ने उनके गर्व को जाना जिससे हमे उनकी ताकत को पहचानने  जैसे अपने हक के लिए लड़ने की ताकत , नेतृत्व की ताकत ,एक दूसरे की सहयोग की ताकत , आपसी प्रेम की ताकत प्रेरित करने की ताकतो का पता चला |

                       इसी प्रकार हमने संगठन के बाकि सदस्यों की ताकत को पहचाना और उनके ताकत का प्रयोग उन्ही के समस्या का समाधान के लिए उत्प्रेरित किया की वे अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं निकालने का प्रयास करे और अब हम उन्हें सिर्फ प्रक्रिया की जानकारी देते हैं जिसके द्वारा वे स्वयं का कार्य स्वयं करने की कोशिश करने लगे है | जैसे - कलेक्टर या किसी शासकीय अधिकारी के पास अपनी समस्याओं को लेकर एक या एक से अधिक लोग स्वयं जाने लगे हैं और बात करने लगे है  और अपनी समस्या का हल पाने की कोशिश करते है और कुछ लोग पा भी चुके हैं | अपने हक के लिए आवाज उठाने लगे है | ये ताकतें तो उनमे पहले से ही थी बस उन्हें उत्प्रेरित करने की अवश्यकता थी जो हम आपसी सहयोग से साल्ट के माध्यम से कर रहे हैं | 

भविष्य में हम और ज्यादा अच्छे से सुनेंगे व अपने संगठन को जिसमे हमने सफलता पायी है उन्हें अन्य संगठनो में ले जाकर उनकी सफलता बताकर उत्प्रेरित करेंगे ताकि बाकि नए बने संगठन अपनी ताकत को पहचान कर अपनी समस्याओं का समाधान आपसी सहयोग से निकाल सके |

 

कहानी

                                               जिला -बलौदाबाजार के  विकासखंड बिलाईगढ़ के अन्तर्गत जोगीडीपा में बुदधेश्वर साहू ने जब काम शुरू किया तब देखा की लोग एक अजनबी की तरह मुझे देख रहे थे तथा मेरी बातो को भी अनसुना कर रहे थे किसी से बात करना चाहु तो नही सुन रहे थे तब मैंने साल्ट का प्रयोग करते हुए कहा की मैं जे जे के  से आया हूँ आप लोगो की बातो को सुनकर कुछ सिखने के लिए आया हूं तब गांव के सुखराम , हीरालाल , फिरतीन बाई और पिली बाई ये  अपने  बारे में बात करने लगे तब हमने उनसे पूछा की आप अपने जिंदगी में ऐसा कौन सा कार्य किया है जिस पर आप गर्व महसूस करते है तब उन्होने अपनी अपनी बात रखी इस प्रकार आपसी सम्बन्ध अच्छा होने पर हम ने उन्हें संगठन के  महत्व के बारे में बताया और अपने गांव के सम्बन्ध में उनके सपने को पूछा जिसमे हम ने देखा की उन्हें अपने गांव  की सभी समस्या पता है जैसे पिने के साफ पानी की , बच्चों की शिक्षा का , सड़क का , दारू भट्टी इत्यादि का तब उन्होंने संगठन के मीटिंग में खुद ये निर्णय लिए की हमे हमारे गांव का  हैंडपम्प जो ख़राब हो गया है पिने के पानी की व्यवस्था  के लिए ३ किमी जाना पड़ता है तो  पि एच ई (पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ) ऑफिस जाने का निर्णय लिए और साथ ही वहाँ जाने के लिए 5-5 रुपए का चंदा करके ट्रेक्टर किराये पर ले कर 23 मार्च 2016 को  पि एच ई ऑफिस जा कर हैंडपंप सुधारने के लिए एस डी ओ को आवेदन पत्र और गांव  की समस्याओं को बताते हुए नए हेण्ड पंप की मांग भी की  तब एस डी ओ के द्वारा ख़राब हेण्डपम्प को सुधारने के लिए मिस्त्री भेजा गया व नए हेण्डपम्प  के लिए अनुमति दी गयी अब जोगीडीपा में पीने के पानी की समस्या नही है |

                                      अब यदि इस प्रकार की समस्या हमें किसी और गांव में होगी तो हम जोगीडीपा के संगठन सदस्यों को ले जाकर उनके अनुभव का साँझा कर उन्हें उत्प्रेरित करेंगे जिससे वे भी अपनी समस्याओं के लिए स्वयं आगे आकर उस समस्या का हल निकलेंगे | और इस प्रक्रिया को हम निरंतर साल्ट के माध्यम से करते रहेंगे |   

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